सागर से गहरी आँखे तुम्हारी

सागर से गहरी आँखे तुम्हारी
इनमें बसी तस्वीर हमारी
और बताऊँ कया में तुमको
सीरत भी तेरी प्यारी, O दुलारी
मुख पे हंसी, मथे पे तारे
देख के तुझको हारे
छलका जाम मेरे हाथों से
मैंने न कभी पिया है, O दुलारी
इंद्रधनुष सा रंग है तेरा
तू न गुस्से वाली
शीतल इतनी कहाँ से लाई
में धड़ाम गिरा था, O दुलारी
Dr. Baljit Singh
Monday 21st May 2018

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