तू सरिता तू अमृत वाणी

तू सरिता तू अमृत वाणी
तू ही परोसे भोजन-पानी
दर्द में देती तू ही दवा
देश-विदेश की यही कहानी
आरती-वन्दना तेरी ताकत
खुशहाली के दीप जलाये
सूने घर की तू ही चिंता
तू ही करे उसकी रखवाली
हर कदम में तू ही पैहले
हर मोर पे शक्तीशाली
आहट हो जब Door पे कोई
तू ही खोलने आगे जाए
कोई तकलीफ न हो तुझको
रोते जग को तू ही हसाये
हर जग में, हर जग में
तू ही रहे सोभाये
Dr. Baljit Singh
Monday 30th April 2016
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